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Thursday, November 27, 2025

तुम जब भी लिखना सतरंगी प्रीत लिखना।।

 वो लिख रहें है नफरतें तो लिखते रहें

तुम जब भी लिखना सतरंगी प्रीत लिखना।।
बहुत भारी है बोझ झूठे अंहकार का
तुम जब भी झुकना सादर नमन करना
रक्तिम स्याही से भी तुम सिर्फ धरा के गान लिखना
वो मिटा रहें है जो भी है यहां जीने लायक
तुम सदा शांति, अमन, प्रेम लिखना
उनके धमाकों के बीच प्राण वीणा की लय लिखना
बहुत आसान है उनसे बैर करना
तुम विवादों के बीच अपवाद लिखना
तुम जब भी लिखना सतरंगी प्रीत लिखना
मनीषा वर्मा

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