क्षितिज पर लालिमा जब घुल जाएगी
अंधकार भरी कई रातें भी ढल जाएंगी
तुम मिलना मुझे तब उस पार
जब किरणों की ताल पर लहरें इठलाएंगी।।
चांदनी जब तुम्हे विकल कर जाएगी
वो एक शाम तुम्हें भी जब सताएगी
तुम मिलना मुझे तब उस पार
जब विदा की वो बेला पास आएगी।
एक दिन लेन देन जब सब चुक जाएंगे
बही खाते सब बंद हो जाएंगे
तुम मिलना मुझे तब उस पार
जब नींद भरी ये पलकें मुंद जाएंगी।।
मनीषा वर्मा
#गुफ़्तगू
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