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Monday, February 19, 2024

शब्द आघात करते हैं

 

शब्द आघात करते हैं।

जलते हैं, कुढ़ते हैं

मन पर मूक प्रहार करते हैं।।


शब्द आघात करते हैं।।



चुभते हैं शूल से 

सीने में सिल से गड़ते हैं

अस्तित्व पर बेहिचक सवाल करते हैं।।


शब्द आघात करते हैं।।


घूमते हैं दिलो दिमाग पर

गूंजते हैं बिस्तर की सलवटों पर 

रात दिन बस परेशान करते हैं।।


शब्द आघात करते हैं।।


तुम्हारे शब्द बस अब 

बार बार वही सवाल करते हैं

मन पर प्रहार करते हैं

शब्द आघात करते हैं।।


मनीषा वर्मा 


#गुफ़्तगू

5 comments:

  1. बेहतरीन
    तुम्हारे शब्द बस अब
    बार बार वही सवाल करते हैं
    सादर

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  2. बींधे तीर-सी प्रखर शब्द की बेंत
    मन दर्पण को दे पत्थर की भेंट
    तुम खुश हो तो अच्छा है
    मुस्कानों का करके गर आखेट
    तुम खुश हो तो अच्छा है...
    आपकी रचना पढ़कर अपनी लिखी कुछ पंक्तियां याद आ गयी।
    सस्नेह
    ----
    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना मंगलवार २० फरवरी २०२४ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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