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Tuesday, November 21, 2023

तुम बिन

 थोड़ा सा पागल हो जाना 

स्वीकार मुझे 

तुम बिन जीना कितना दुश्वार मुझे।।

 

बिना पैर के चलती हूं

बिना हंसी के हंसती हूं

तुम बिन कहां कोई व्यवहार मुझे ।।


ना आसमां कोई सिर पर मेरे 

ना पैरों तले ज़मीन मिले 

तुम बिन त्रिशंकु सी हर ठौर मुझे ।।


मनीषा वर्मा 

#गुफ़्तगू

4 comments:

  1. कुछ एहसास बेहद खास होते हैं जिन्हें सिर्फ़ महसूस किया जा सकता है।
    सस्नेह।
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    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार २४ नवम्बर २०२३ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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