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Sunday, November 5, 2023

वो मुझको मेरी नजर से कब देखता है

 वो मुझको मेरी नजर से कब देखता है

वो जब भी देखता है मुझमें आईना देखता है।।


यूं तो मालूम है उसको मेरी मजबूरियां

फिर भी मुझसे मिलने के ठिकाने देखता है।।


क्यों मिलता है वो ऐसे खुलकर मुझसे

ऐसे तो हर शख्स अपनी कैफियत देखता है ।।


कह कर भी वो कुछ कहता नही है 

वो जमाने की नजर देखता है ।।


यूं तो है ये शहर उसके लिए अजनबी

वो मुझे क्यों फिर अपनों में  देखता है।।


लिख कर भेजा है एक खत मेरे नाम

मुझसे बतियाने के वो बहाने देखता है।।


मनीषा वर्मा 

#गुफ़्तगू


3 comments:

  1. यूं तो मालूम है उसको मेरी मजबूरियां
    फिर भी मुझसे मिलने के ठिकाने देखता है।।
    .
    .
    वाह वाह वाह बहुत सुंदर...

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