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Friday, September 8, 2023

कुछ उनको खबर है कुछ हमें भी

 एक बात अनकही सी कहे जा रहे है

कुछ उनको खबर है कुछ हमें भी ।।


लम्हा लम्हा साथ बैठे शाम गुजरती जा रही है

कुछ उनको खबर है कुछ हमें भी ।।


काम निकाल कर मिलने के जो बहाने बना रहे हैं

कुछ उनको खबर है कुछ हमें भी ।।


नजरें चुरा रहे हैं वो जिस बेचैनी को छिपा रहे हैं 

कुछ उनको खबर है कुछ हमें भी ।।


चलने को दोनो कहते हैं फिर भी देर किए जा रहे है

कुछ उनको खबर है कुछ हमें भी ।।


ये जो वक्त बेवक्त की गुफ्तगू  में जो कर रहे इशारे हैं 

कुछ उनको खबर है कुछ हमें भी ।।


मनीषा वर्मा 

#गुफ़्तगू

6 comments:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना मंगलवार १२ सितंबर २०२३ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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    Replies
    1. ओह आज देखा फिर चूक गई मैं माफी

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  2. वाह ! बहुत सुंदर

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