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Thursday, January 13, 2022

हिंदी दिवस

 बोल चाल में रहने दो

साहित्य से श्रृंगत होने दो

हर दिवस हिंदी हिंदी हो जाएगा 

इसे जन मानस में बसने दो।।


सूर रसखान जयसी के पद से 

निराला दिनकर के काव्य तक 

शुद्ध अशुद्ध का भेद विचारकों को करने दो

शिशु मुख की बोली से आह्लादित 

मातृ रस भरी लोरी के स्वर में इसे रचने दो ।


हर दिवस हिंदीं हिंदी हो जाएगा

इसे जन मानस में बसने दो।


मनीषा वर्मा

#गुफ्तगू



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