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Thursday, January 6, 2022

हम जो भंवर में उगे

 हम जो भंवर में पले भंवर में ही रह गए

ना ज़मीं तक पहुंचे ना आसमां छू सके ।।


तूफ़ान ही नसीब थे तूफान ही मिले

ना तिनके मिल सके ना सहारा बन सके ।।


लिख कर मिटाते रहे जी कर मिटते रहे 

ना अपनी कह सके ना उनकी सुन सके ।।


मनीषा वर्मा 

#गुफ़्तगू

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