मेरे भीतर अब प्यार नहीं है
सपनो का वो मृदु संसार नहीं है
आँखों में वो उड़ान नहीं है
पलको पर उजालों का वास नहीं है
होंठों पर सहज मुस्कान नहीं है
मन में वो भोला विश्वास नहीं है
कदमों में उमंग भरी ताल नही है
कंठ का वो मृदु गान नही है
विश्वास का कहीं आधार नही है
समर्पण का वो भाव नही है
तुम्हे देने को कान्हा कुछ मेरे पास नहीं है
राधा सा प्यार मीरा का भाव नही है
तुम पर मेरा अधिकार नही है
अर्द्धांगिनी कहलाने का वो मान नही है
मनीषा
सपनो का वो मृदु संसार नहीं है
आँखों में वो उड़ान नहीं है
पलको पर उजालों का वास नहीं है
होंठों पर सहज मुस्कान नहीं है
मन में वो भोला विश्वास नहीं है
कदमों में उमंग भरी ताल नही है
कंठ का वो मृदु गान नही है
विश्वास का कहीं आधार नही है
समर्पण का वो भाव नही है
तुम्हे देने को कान्हा कुछ मेरे पास नहीं है
राधा सा प्यार मीरा का भाव नही है
तुम पर मेरा अधिकार नही है
अर्द्धांगिनी कहलाने का वो मान नही है
मनीषा
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