जीवन के ताने बाने को
मन भावुक उतारता जाता है
शब्दों में
पर फिर भी इन तालों में
बांध कहाँ पाता है
हर उदगार
पीड़ा में
प्रीती में
दे देते शब्द
एक आधार
लेखनी में उतर जाता
विषम जीवन का संग्राम
मनीषा
मन भावुक उतारता जाता है
शब्दों में
पर फिर भी इन तालों में
बांध कहाँ पाता है
हर उदगार
पीड़ा में
प्रीती में
दे देते शब्द
एक आधार
लेखनी में उतर जाता
विषम जीवन का संग्राम
मनीषा
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