माटी कहे कुम्हार से तू क्या रुँधे मोए इक दिन ऐसा आयेगा मैं रुँधूगी तोए
तेरे पास जो मेरे लम्हे हैं उन्हें सम्भाल कर रखना
तेरी तन्हाइयों में तेरा दिल बहलाएँगे
जब ज़िंदगी में तेरे अपने साथ होंगे, महफिल होगी जाम होंगे
तब दिल के किसी कोने में तेरे हम भी मुस्कुराएंगे ।।
मनीषा वर्मा
#गुफ्तगू
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