उन्हें याद आई तो होगी, आंख भर आई तो होगी
एक हूक सीने से उठ तो आई होगी।।
कोई ज़िक्र तो मेरा किसी ने छेड़ा होगा,
एक याद कोने में मुस्कुराई तो होगी।
उन्हें याद आई तो होगी, आंख भर आई तो होगी।।
पीछे मुड़ कर अचानक देखा तो होगा,
किसी ने पुकारा लगा तो होगा
उन्हें याद आई तो होगी, आंख भर आई तो होगी।।
ढलते सूरज वाली सुनहरी वो शाम याद आई तो होगी,
जगजीत की वही ग़ज़ल, चुपके चुपके फिर गुनगुनाई तो होगी।
उन्हें याद आई तो होगी, आंख भर आई तो होगी।।
शांत शीतल रातों में, चांदनी की नर्म बाहों में
अनकही वो बात, मन ही मन दोहराई तो होगी।
ले कर बैठे होंगे पुराने किस्से जब जब बचपन के
दिल से दिल की बात निकल आई तो होगी ।।
उन्हें याद तो आई होगी, आंख भर आई तो होगी
एक हूक सीने से उठ तो आई होगी।।
मनीषा वर्मा
#गुफ्तगू