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Friday, September 13, 2024

उसके आने की उम्मीद बनी रहती है

 ख्यालों में एक नदी सी बहती है

चांदनी भी रात भर उदास रहती है

भीतर बाहर एक सर्द नमी सी बनी रहती है

वो आता है ले कर लौट जाने की तारीख

घर में एक कमी सी बनी रहती है।।


मुस्कुराहटें उदास सी खिली रहती हैं

बना तो लिया है आशियां अपना

आने वालों की कमी सी रहती है 

 शायद ना बन सकी उसके रुकने की कोई वजह

 हर वक्त उसे जाने की पड़ी रहती है।।


बिछी चादर पर एक सिलवट सी पड़ी रहती है

बिस्तर के किनारे एक किताब अधूरी सी रखी रहती है

भोर आती है चुपके से आंगन में फैली धूप के साथ

रात भर उसके  आने की आहट सी लगी रहती है।।


मनीषा वर्मा

#गुफ़्तगू

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