Pages

Tuesday, August 8, 2023

लेखनी मेरी

 अक्सर पूछ लेते हैं लोग

तुम लिखती हो तो इसे छपवाती क्यों नहीं?

उन्हें क्या बोलूं कागज़ पर स्याही से नहीं

छापनी मुझे अपनी अभिव्यक्ति।

मुझे छापनी है मानस पर 

मानस की अपनी भाषा में

जिनमे बू तो हो मेरी अभिव्यक्ति की

लेकिन प्राण मानस के हों

कभी तो लिखूंगी एक सार्थक रचना 

जो किसी मन में उतर कर बस जाएगी।

जाने कब लिखूंगी वो एक कविता, तब तक 

शब्दों को ढलने दो,

जैसे ढलते हैं दिन और रात ।


मनीषा वर्मा 


#गुफ़्तगू

No comments:

Post a Comment