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Tuesday, July 18, 2023

पुरुष की कविता

 पुरुष की कविता भिन्न होती है 

कविता के पुरुष भी भिन्न होते हैं

पुरुष प्रेमी पिता भाई सहोदर सब होते हैं कविता में 

पर कोमल करुण दारुण नही होते 


पुरुष की कविता  है

शांत धीर गंभीर कविता

दोस्ती यारी सड़कों की आवारगी की कविता

कविता में भी पुरुष कमजोर  नहीं हैं

पिता अश्रु छिपा जाते हैं, प्रेमी वियोग से पागल तो हो जाते हैं

परंतु रोते नहीं हैं

ना कोमल हैं,न उलझे  से 

ना विलाप करते बस खामोश और चुप्प से हैं पुरुष कविता में भी

पुरुष की कविता बस वीर और बलिदानी सी खड़ी है 

उनकी तरह 

पुरुष की कविता भिन्न होती है 

कविता के पुरुष भी भिन्न होते हैं।।


मनीषा वर्मा 


#गुफ़्तगू

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