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Thursday, August 16, 2018

दीप था बुझ गया आभ छोड़ गया

दीप था बुझ गया आभ छोड़ गया
पलकों पर ख्वाब छोड़ गया
दीप था आभ छोड़ गया

कर प्रकाशित पथ राह छोड़ गया
हाथों में मशाल छोड़ गया
दीप था आभ छोड़ गया

कर पराजित तिमिर 'अटल' आलोक छोड़ गया
अवरूद्ध कंठ में राग छोड़ गया
दीप था आभ छोड़ गया

रिक्त पन्नों पर  क्रान्ति का आह्वान  छोड़ गया
तरुण हृदय में झनकार छोड़ गया
दीप था आभ छोड़ गया

16.08.2018
मनीषा वर्मा

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