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Wednesday, November 8, 2017

रिश्ते कुछ अजीब होते हैं

रिश्ते कुछ अजीब होते हैं
जहां है वहाँ  कभी नहीं मिलते
और कभी अचानक यूँही मिल जाते हैं
ये रिश्ते भी अजीब  होते हैं

कभी कुछ दूर के होते हैं
तो कभी नज़दीकियों के
कभी अनुभवी से होते हैं
कभी नादान  से होते  हैं
ये रिश्ते भी अजीब  होते हैं

जन्मो से गहरे पल में जुड़ जाते हैं
कभी तार तर हो क्षण में टूट जाते हैं
कुछ बिखरे से होते हैं
कुछ गहरे से होते है
ये रिश्ते भी अजीब  होते हैं

बेतक्क्लुफ़ से बेपरवाह से होते हैं
तो कभी मजबूरी में निभाह  होते हैं
मुस्कुराते हैं एकांत में
चुभ जाते हैं महफिलों में
ये रिश्ते भी अजीब  होते हैं

कुछ मीठे से कुछ तीखे से
अपने से, अजनबी से
शरारती से, गंभीर से
कड़वे से, खट्ट मीठे से
चटपटे लच्छेदार होते हैं
ये रिश्ते भी अजीब  होते हैं

मन पे बंधे बंदनवार से
हथेली पे रची मेहँदी से
सावन के त्यौहार से
जीवन की खरी कमाई होते है
ये रिश्ते भी अजीब  होते हैं
मनीषा वर्मा



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