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Monday, December 1, 2014

तेरी यादों ने

तेरी यादों ने इस तरह बसा रखा है मुझमें इक शहर ।
कहीं भी जाऊं वीरानियाँ नसीब नहीं होती ।।
महफ़िलों में फिरता रहता हूँ अजनबी सा ।
तन्हाइयों में भी तन्हाईयाँ नसीब नहीं होती ।।
मनीषा वर्मा

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