बड़े साहब से अर्ज़ी
आप हुक्मरान हैं मालिक हैं
आपकी कलम में बहुत ताकत है साब
एक हस्ताक्षर पर
कितनी ज़िंदगियां टिकी हैं
एक गुज़ारिश है साब
कलम को स्याही में डुबोइए
रक्त में नहीं
दुआ मिलेगी साब
आह नहीं
कल आपकी कलम ने
कितनी नौकरियां छीन ली
एक आदेश पर कितने घर संकट में आ गए
वो जो आपको गर्म चाय देता है ना हुज़ूर
उसकी बीबी का आठवां महीना है पहला बच्चा है
अगले माह से बहुत खर्चा है
वो जिसे आप कभी कभार बुला कर
बंगला साफ करवाते हैं ना
उसका बेटा अंग्रेजी स्कूल में है
सपना देखता है रॉकेट बनाने का
उसकी फीस जानी है साब तीन माह की
आपके दिए कुल 22 हजार में से
महीने का राशन भी लाना है, किराया भरना है
साब उम्र ज्यादा है उसकी
आदेश पाने के बाद
कई रात से इसी चिंता में सोया नहीं है
उसे अब कौन नौकरी देगा साब।।
कई मातहत बहुत दूर से आते हैं
कोई कोई तो मेरठ से सुबह 6 बजे की स्पेशल से
ढाई तीन घंटे के सफर से आते हैं
एक दम टाइम पर दफ्तर
चाहे तो मशीन देख लीजिए साहिब
छोटा मोटा काम करते हैं सब
किसी तरह इस बड़े शहर के अहसान तले
अपने छोटे छोटे सपने पूरे कर रहे हैं
नौकरी ना छीनिए इनकी हुजूर
उम्र हुए दफ्तर में सेवा करते कहां जाएंगे।
आप बड़े लोग हैं
बहुत ताकत है आपकी कलम में
बहुत पढ़े लिखे हैं
क्या जाने कहां आप बम गिरा दें
कितने लोगों को खाने की पंक्ति में
खड़े खड़े गोली से भुनवा दें
आज ही कहीं बुलडोजर चलवा दें
किसी भी परिवार को कब मिट्टी में मिलवा दें
आप पढ़े लिखे प्रतिष्ठित भले मानुस हैं साब
हम छोटे लोग हैं धरती के कीड़े मकोड़ों जैसे
हमारा जानते हैं कोई मोल नहीं
इसलिए बस विनती है साब थोड़ा दीन दिखा दें
आपकी कलम में बहुत ताकत है साब
एक गुज़ारिश है साब
कलम को स्याही में डुबोइए
रक्त में नहीं
दुआ मिलेगी साब
आह नहीं
मनीषा वर्मा
#गुफ्तगू