सत्ता के गलियारो मे
आवाज़ एक सच की गूँजी थी
हर भारतवासी के मन मे
फ़िर से आशा जागी थी
कालाबाज़ारी के खिलाफ़
हर गली मे खिलाफ़त उठी थी
घोटालो मे डूबे हर नेता को
सबक सिखाने की सूझी थी
साथ अन्ना के फ़िर से सच्चाई का परचम लहराने
एक बार फ़िर जनमत ने ठानी थी
हा! धिक्कार तुम्हे जो आज़ाद भारत के नेता हो
अपने मुद्दो मे उलझा कर
तुमने सोती जनता पर अन्धियारे मे वार किया
दिन मे तो आँख ना मिला सके
रात में अत्याचार किया
सच की लड़ाई को पह्चान न सके
कभी बाबा कभी सिब्ब्ल कभी माया बन
अनाचार किया
फ़िर ये परचम लहराएगा
आज तुम्हारा है
कल जनता का भी दिन आएगा
जिन हाथों ने आज तुम्हे सिंहासन है दिया
उन्ही हाथों मे चक्र सुदर्शन भी लहराएगा
आज मूक खड़ी जो तमाशा देख रही है
वो जनता हारी है न समझना
ये भी न समझना कि
जनता सिर्फ़ भोली भाली है
मूल मुद्दे को भुला नही देगी ये
उस दिन बता देगी ये ,जिस दिन जनमत आएगा
आवाज़ एक सच की गूँजी थी
हर भारतवासी के मन मे
फ़िर से आशा जागी थी
कालाबाज़ारी के खिलाफ़
हर गली मे खिलाफ़त उठी थी
घोटालो मे डूबे हर नेता को
सबक सिखाने की सूझी थी
साथ अन्ना के फ़िर से सच्चाई का परचम लहराने
एक बार फ़िर जनमत ने ठानी थी
हा! धिक्कार तुम्हे जो आज़ाद भारत के नेता हो
अपने मुद्दो मे उलझा कर
तुमने सोती जनता पर अन्धियारे मे वार किया
दिन मे तो आँख ना मिला सके
रात में अत्याचार किया
सच की लड़ाई को पह्चान न सके
कभी बाबा कभी सिब्ब्ल कभी माया बन
अनाचार किया
फ़िर ये परचम लहराएगा
आज तुम्हारा है
कल जनता का भी दिन आएगा
जिन हाथों ने आज तुम्हे सिंहासन है दिया
उन्ही हाथों मे चक्र सुदर्शन भी लहराएगा
आज मूक खड़ी जो तमाशा देख रही है
वो जनता हारी है न समझना
ये भी न समझना कि
जनता सिर्फ़ भोली भाली है
मूल मुद्दे को भुला नही देगी ये
उस दिन बता देगी ये ,जिस दिन जनमत आएगा
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