सबसे पहले और सबसे आगे ये सिर्फ़ कागज़ के गुलाम
वही दिखाते है जो बिकता है
दर्द हो या आँसू
खून हो या पसीना
मय्यत का मौसम हो या
शादी का महीना
बस दिखाते है ये ताज़ा खबर
कल आन्दोलन का अवलोकन था
आज बहस है मय्यत की
बस जो बिकता है ये वही बताते है
सिर्फ़ ताज़ा खबर ही दर्शाते है
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