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Sunday, June 19, 2011

पदाधिकारी

तुम्हारे ऊँचे पद
बड़े बड़े नाम लिखे डायरियों मे
किस काम मेरे
जो दिला न सके
एक मज़बूत छत
एक चारदीवारी
और एक नौकरी
उसे, जिसे कहते थे
तुम भाभी
नई दुल्हिन
और अब एक बेसहारा अबला
जो जूझ रही है जीवन के समर मे आज
तन्हा, निपट अकेली
अंगुली उठाना आसान है
सरल है व्यवहार की कमी मे झांकना
जब आँचर हो किसी दूसरे का
ये तुम्हारे पदों के लेबल
किस काम उसके जो पोछ ना पाए
आँसू और भर ना पाए मन उसका

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