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Monday, May 16, 2011

नग्मा

मेरे नग्मे नही किसी का दिल बहलाने का सामान
तेरे गुनगुनाने के लिए ये आशार नही कहे मैने
ये मेरे अरमानो के बिखरे से टुकड़े है
झलकता है जिगर का हर ज़ख्म जिन मे
हर हर्फ़ से टपकता है लहु ख्वाबो का मेरे

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