जिनकी याद मे उम्र गुज़ार दी हमने, ए खुदा इशारा तो दे कि वो भी याद किया करते है हमे
जिन यादो मे हमारी सुबह शाम सजी रह्ती है, ए खुदा बता उनकी तन्हाईया सजाते तो हैं वो लम्हे॥
कहीं से कोई आवाज़ नही आती, पर यकीन है कहीं से वो भी पुकारा तो करते हैं हमें
इश्क की शिद्द्त पर इतना तो भरोसा है दूरियाँ लम्हों कि हो या सालो कि
आज भी मन्न्तों मे वो माँगा तो करते हमें
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