बरस बाद फिर वही दिन आया
आज सबको अपना वतन याद आया
जश्न -ए -आज़ादी मनाई सबने
एक बार फिर सबको इतिहास याद आया
अलमारी में रखा खादी का कुरता पायजामा
कड़क इस्त्री हो इतराता बाहर आया
हर दरो दीवार पर सजा तिरंगा
शाम तक सड़कों पर फिर गिरा पाया
किसी को गांधी किसी को भगत सिंह याद आया
किसी ने सीधा तो फिर किसी ने उल्टा ही तिरंगा लहराया
कितने भूले बिसरों को खबरों की तरह
कारगिल युद्द और अट्टारी बॉर्डर याद आया
जो खा गया है दीमक की तरह मुल्क को
वो भी आज शहीद-ए -मज़ार पर फूल चढ़ा आया
आज सबको अपना वतन याद आया
जश्न -ए -आज़ादी मनाई सबने
एक बार फिर सबको इतिहास याद आया
अलमारी में रखा खादी का कुरता पायजामा
कड़क इस्त्री हो इतराता बाहर आया
हर दरो दीवार पर सजा तिरंगा
शाम तक सड़कों पर फिर गिरा पाया
किसी को गांधी किसी को भगत सिंह याद आया
किसी ने सीधा तो फिर किसी ने उल्टा ही तिरंगा लहराया
कितने भूले बिसरों को खबरों की तरह
कारगिल युद्द और अट्टारी बॉर्डर याद आया
जो खा गया है दीमक की तरह मुल्क को
वो भी आज शहीद-ए -मज़ार पर फूल चढ़ा आया
मनीषा
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