दाल चावल रोटी चपाती में
लिपटी मेरी कविता सारी
हल्दी नून और जीरे के छौंक ने
सिखाई मुझे परिभाषा सारी
उबलते दूध ने दिया मुझे दोस्ती का सार
तो पाया परसी थाली में जीवन का सार
चुटकी भर हींग के तड़के सी पाई मैंने कशिश
कटोरी भर मीठे हलुवे सा मिला सबका प्यार
इतना ही सा तो है मेरा घर संसार
मनीषा
लिपटी मेरी कविता सारी
हल्दी नून और जीरे के छौंक ने
सिखाई मुझे परिभाषा सारी
उबलते दूध ने दिया मुझे दोस्ती का सार
तो पाया परसी थाली में जीवन का सार
चुटकी भर हींग के तड़के सी पाई मैंने कशिश
कटोरी भर मीठे हलुवे सा मिला सबका प्यार
इतना ही सा तो है मेरा घर संसार
मनीषा
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