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Sunday, May 10, 2015

बस एक तू ही नहीं मिलती

सारा जहां मिलता है
मुझसे आज हँस हँस कर
बस एक तू ही नहीं मिलती
प्रशंसा पत्र इनाम तो बहुत मिलते हैं
तेरी प्यार भरी झिड़की नहीं मिलती
सौ पकवान भरे दस्तरख़ान बहुत मिलते हैं
माँ तेरे हाथ की घी चुपड़ी रोटी नहीं मिलती
बहुत नरम बिछौने हैं मेरे इस घर में भी
पर तेरी दुलार भरी गोद  नहीं  मिलती
सोती तो हूँ माँ हर रात अपने इस सुख संसार में
पर जो तेरी लोरी सुन कर आती थी वो नींद नही मिलती
जहाँ भी जाती हूँ इस दुनिया में
घर जल्दी लौट आने की अब हिदायत नहीं मिलती
मनीषा

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