वो घर खाली मकां होते हैं
जहां माँ के मान नही होते हैं
मनीषा
एक फूँक से सारी चोट ठीक कर देती है
ईश्वर भी सुनता है
जब माँ आशीष से झोली भर देती है
मनीषा
जहां माँ के मान नही होते हैं
मनीषा
एक फूँक से सारी चोट ठीक कर देती है
ईश्वर भी सुनता है
जब माँ आशीष से झोली भर देती है
मनीषा
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