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Thursday, March 5, 2015

सपनों में सच का रंग मत घोलो

सपनों  में सच का रंग मत घोलो
तुम मेरे संग होली खेलो
मैं बिसराऊँ खुद को
तुम मुझमे खुद को भूलो
तुम मेरे संग होली खेलो

बन जाओ तुम अंबर
मैं धरा सी बिछ जाऊं
बिखेरे सुदूर क्षितिज पर
साँझ सुबह के रंग दोनों
तुम मेरे संग होली खेलो

बन जाना तुम कान्हा
मैं राधा हो जाऊं
हो वृन्दावन ये जग सारा
इस फाल्गुनी हवा में मस्ती घोलो
तुम मेरे संग होली खेलो

सपनों  में सच का रंग मत घोलो
तुम मेरे संग होली खेलो
मनीषा 

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