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Tuesday, February 17, 2015

तुमसे मेरा नाता क्या

तुमसे मेरा नाता क्या
तुम पर मेरा अधिकार क्या

मन की पीड़ा को
तिनके सा आराम मिला
तेरे द्वारे आ पल भर को
तपती धूप से विश्राम मिला
मन का मन से ये नाता क्या

तुमसे मेरा नाता क्या
तुम पर मेरा अधिकार क्या

तेरी एक मुस्कान ने
जाने कितने इन आँखों के अश्रु धोए
तेरी मीठी बातों ने
जाने कितने मन पर मेरे हास बोए
शब्दों का शब्दों से ये रिश्ता क्या

तुमसे मेरा नाता क्या
तुम पर मेरा अधिकार क्या

कृतार्थ तुम्हारी तुमने जो
मेरे पग से कंटक बीने
साथी बन तुम जो
दो पग साथ चले
जन्मों  का जन्मो से वादा क्या

तुमसे मेरा नाता क्या
तुम पर मेरा अधिकार क्या
मनीषा 

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