कुछ आँचल के साये इस कदर रूठ जाते हैं
बात बात पर याद आते हैं
दिल पूछता है हर लम्हें से
जाने वाले क्या हमारी सदा सुन पाते हैं
ऐसे जाते हैं जो क्यों मुँह फेर जाते हैं
जाने वाली क्यों कभी लौट कर नहीं आ पाते हैं
कहते हैं वो आसमां के तारों में मुस्काते हैं
उनकी याद में जब हम अश्रु बहाते हैं
हमसे मिलने के लिए शायद वो भी छटपटाते हैं
और जब भी उन्हें याद कर हम मुस्काते हैं
धरा की हर शह में वो हमारे संग गुनगुनाते हैं
मनीषा
बात बात पर याद आते हैं
दिल पूछता है हर लम्हें से
जाने वाले क्या हमारी सदा सुन पाते हैं
ऐसे जाते हैं जो क्यों मुँह फेर जाते हैं
जाने वाली क्यों कभी लौट कर नहीं आ पाते हैं
कहते हैं वो आसमां के तारों में मुस्काते हैं
उनकी याद में जब हम अश्रु बहाते हैं
हमसे मिलने के लिए शायद वो भी छटपटाते हैं
और जब भी उन्हें याद कर हम मुस्काते हैं
धरा की हर शह में वो हमारे संग गुनगुनाते हैं
मनीषा
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