गुनगुनी धूप में बेतक्कलुफ़ से कुछ लम्हे
मन को सहलाते हुए कहते हैं
ज़िन्दगी इतनी ग़मगीन भी नहीं की तेरे
बगैर उम्र गुजारी भी न जा सके
जा तेरा इंतज़ार छोड़ दिया
मेरे हाल की खबर मुझे नहीं
पर तेरे हाल पर तुझे छोड़ दिया
ज़िन्दगी में मेरी आये ना आये
दुआ है तेरी ज़िन्दगी में
पतझड़ भी आये तो वसंत की तरह
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