पुरानी डायरी के कुछ पीले पन्नो से
बीते लम्हे कभी दस्तक देते हैं
उन पन्नो के बीच रखा
सूखा गुलाब
फिर महक जाता है
और एक पुराना ख़त
माफ़ी का, दिल को फिर छू जाता है
और उस बीती सुबह की सुनहली धूप
मेरी खिड़की पर फिर उतर आती है
और तुम्हारे साथ गुजरी हर रात
मेरी पलकों में ग़ज़ल सी गुनगुनाती है
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