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Monday, February 28, 2022

कुछ बीत गया

 कुछ बीत  गया ? समय था 

कुछ टूट गया ? एक भ्रम था शायद 

कुछ छूट गया? अब भूल जा 


पर दुःख ये कैसा, पूछा मैंने ?

अंतर मन को खूब टटोला मैंने


पल ये तो बीत ही जाना है

भ्रम हो या स्वप्न टूट ही जाना है 

रहगुज़र हो या साथ 

पीछे छूट ही जाना है 

फिर ये दुःख कैसा ?

ये वेदना ये क्रंदन कैसा


पर  हृदय  निरुत्तर था 

मौन था

विषाद बस असहनीय था


मनीषा वर्मा


#गुफ़्तगू



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