अजब तेरा खेला अजब तेरी दुनिया
सुख दुःख जैसे दिन रात की परछाई
पाप है क्या और ये पुन्य है क्या
कह गए ज्ञानी सब करम कमाई
कोई यहाँ जी ना पाया, किसी को मांगे मौत ना आई
दे गए ज्ञानी सब भरम दुहाई
कैसा खेल तुम खेले केशव, मानव मन में पीर छिपाई
कह गए ज्ञानी सब मिथ्या माया रचाई
#गुफ्तगू
मनीषा वर्मा
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