हां आओ बारिश का पानी बांट लें
आसमां से जो बरसे तुम रखना
आंखों से तुम्हारी जो ढुलके
मैं रख लेती हूं
आओ बारिश का पानी बांट लें
आओ ये धूप बांट लें
सर्दियों की मीठी वाली तुम रखना
रास्तों की कङी तीखी मैं रख लेती हूं
आओ ये धूप बांट लें
आओ ये शरद चांदनी बांट लें
श्वेत धवल तुम रखना
तन्हा उदास क्षुब्ध सी
मैं रख लेती हूं
आओ ये शरद चांदनी बांट लें
आओ दिन और रात बांट लें
रात पर जब दिन उतरता हो तुम रखना
दिन में जब रात घुलती हो
मैं रख लेती हूं
आओ दिन और रात बांट लें
आओ ये अपनी ज़िंदगी बांट लें
दुनियावी खुशियों वाली तुम रखना
उदास गज़लों की गुफ्तगू
मैं रख लेती हूं
आओ ये अपनी ज़िंदगी बांट लें
#गुफ्तगू
मनीषा वर्मा
आओ ये अपनी ज़िंदगी बांट लें
ReplyDeleteदुनियावी खुशियों वाली तुम रखना
उदास गज़लों की गुफ्तगू
मैं रख लेती हूं
आओ ये अपनी ज़िंदगी बांट लें
बहुत ही खूबसूरत भाव व अति सुंदर सृजन 😍💓😍💓
वाह । लाजवाब
ReplyDeleteज़िंदगी बांट लें
ReplyDeleteसादर..
बहुत ही खूबसूरत रचना।
ReplyDeleteएक पुराना गीत याद आ गया,
तुम अपना रंजोगम अपनी परेशानी मुझे दे दो....
अभिनव सृजन।
सस्नेह।
बेहतरीन भावपूर्ण पंक्तियां
ReplyDeleteवाह बेहतरीन रचना।
ReplyDeleteसस्नेह।