इन आँखों ने मंज़र तमाम देखे हैं
जाने कितने सुबह औ' शाम देखे हैं
रिश्तों के बदलते आयाम देखें हैं
जाने कितने जलते बुझते चिराग देखें हैं
इन आँखों ने मंज़र तमाम देखे हैं
तेरी आँखों में जो उतर आए थे
वो सावन कई बार देखें हैं
जाने कितने सवाल बेज़ुबान देखें हैं
रस्मों रिवाज़ों में दम तोड़ते
अरमान हज़ार देखें हैं
दुनियावी आँखों में तंज हज़ार देखें हैं
इन आँखों ने मंज़र तमाम देखे हैं
मासूम कलियों के
मज़ार बेशुमार देखें हैं
मोहब्बतों के इम्तिहान हज़ार देखें हैं
'
इन आँखों ने मंज़र तमाम देखे हैं
नफरतों के कारोबार
बदस्तूर चलते तमाम देखें हैं
जिस्मानी भूख के बाज़ार हज़ार देखें हैं
इन आँखों ने मंज़र तमाम देखे हैं
और क्या बाकी रहा है यहां अब
देखने दिखाने को ऐ खुदा
तेरे इंसान की शक़्ल में हैवान हज़ार देखें हैं
इन आँखों ने मंज़र तमाम देखे हैं
मनीषा
जाने कितने सुबह औ' शाम देखे हैं
रिश्तों के बदलते आयाम देखें हैं
जाने कितने जलते बुझते चिराग देखें हैं
इन आँखों ने मंज़र तमाम देखे हैं
तेरी आँखों में जो उतर आए थे
वो सावन कई बार देखें हैं
जाने कितने सवाल बेज़ुबान देखें हैं
रस्मों रिवाज़ों में दम तोड़ते
अरमान हज़ार देखें हैं
दुनियावी आँखों में तंज हज़ार देखें हैं
इन आँखों ने मंज़र तमाम देखे हैं
मासूम कलियों के
मज़ार बेशुमार देखें हैं
मोहब्बतों के इम्तिहान हज़ार देखें हैं
'
इन आँखों ने मंज़र तमाम देखे हैं
नफरतों के कारोबार
बदस्तूर चलते तमाम देखें हैं
जिस्मानी भूख के बाज़ार हज़ार देखें हैं
इन आँखों ने मंज़र तमाम देखे हैं
और क्या बाकी रहा है यहां अब
देखने दिखाने को ऐ खुदा
तेरे इंसान की शक़्ल में हैवान हज़ार देखें हैं
इन आँखों ने मंज़र तमाम देखे हैं
मनीषा
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