अब यह कोहरा छ्टने दो
और उजाला बिखरने दो
मन मे गहन उदासी है
थोड़ी हँसी बिखरने दो
कितनी प्यास है यहाँ
स्वाति की एक बूँद ढलने दो
इन कोरी चादरो पर
कुछ सिलवटे सिमटने दो
तन्हा सी शाम हो गई है ज़िन्दगी
थोड़ी लालिमा घुलने दो
बहुत कुछ गुम गया है बीते पलो मे
यादों का कारवाँ फ़िर गुज़रने दो
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