नाम में क्या रक्खा है?
कुछ रख दो।
नहीं नहीं ऐसे कैसे
नाम है तो पहचान है ना
बिना नाम पहचान कैसे
कुछ भी कह लोगे क्या?
नाम से मान बढ़ता है
कितना अजीब होगा ना
नाम अनुचित हो पुकार का हो
टीटू, छोटू कुछ
इसलिए कहती हूं बदल डालो।
अच्छा सा सुंदर सा
सही नाम ना हो तो
भाव ना मिलेगा
कभी सुना है किसी धनाढ्य का नाम
छोटू बंटी जैसा कुछ?
लेकिन हम तो...
उहूं नाम बदलेंगे तो पहचान बदलेगी
वो जो गली के आगे खुली नाली है ना
किसी का ध्यान नहीं जाएगा उस पर
लगेगा किसी बड़ी कोठी से हो।
अरे! तो क्या हुआ खाने को कमाने को ना है
नाम रखो बड़ा सा जोरदार सा।
कोई पूछेगा ही नहीं,
बस मान सम्मान के लिए
इतना ही तो चाहिए।
कहो तो रेडियो टी वी में चलवा दें,
नाम के आगे सुश्री सुकुमार लगवा दें
आगे डागदर उकील कुछ लिखवा दें।
कोई नही पूछेगा,कितनी उधारी चढ़ गई
उम्र के सत्तर पिचहतर सालों में?
बस एक बड़ी सी तख्ती लटका देंगे,
थोड़ा लाइट वाइट लगवा देंगे ।
ना ना अरे!घर के आगे सड़कों पर ठेला ना लगाना ।
वो सुखिया के घर के आगे बहुत गंदगी है,
गरीब की बस्ती है,
कुछ लीपा पोती कर दो,
चलो एक ऊंची दीवार खड़ी कर दो,
उस पर खूब चित्रकारी कर दो।
बस काम हो जाएगा।
नाम में बस वजन होना चाहिए
क्या नही हो सकता।
इसलिए नाम सोच समझ कर बदल डालो।
बस मान सम्मान के लिए
इतना ही तो चाहिए।
आखिर घर में भी तो चद्दर गिलाफ पर्दे बदलते हो ना
जो मन आए सो बदल दो
लगे तो तुम भी थोड़े विकसित हो।
मनीषा वर्मा
#गुफ़्तगू
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