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Friday, August 4, 2023

इस रात को खबर क्या

 इस रात को खबर क्या दिन की बेचैनियों की

लम्हा लम्हा कर के गुजरती जाती है।।


रक्खी हैं पेशानी पर संभाल के उम्र की कुछ लकीरें

जिंदगी बस यूं तितर बितर सी कटती जाती है।।


उस से मिलने और बिछड़ने का सुरूर कुछ ऐसा है

दोपहर ख़ामख़ाह शाम के इंतजार में निकल जाती है।।


मनीषा वर्मा 

#गुफ़्तगू

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