हवा के झोंके सा वो आया
और मुझे छु कर गुजर गया
मै उसके अहसास की ओस मे
भीगती रही देर तलक
उसकी बातें उसकी मुस्कान
तैरती रही देर तक घर में
हर पल मे जैसे गुंथ गया
उसके होने का बस एक वो पल
उसका चेहरा छप सा गया
मेरे तकिए की गोद में
और सिमटी चादर की सलवटों से
अब भी उठ रही है उसकी महक
वो जा कर भी मेरे दर से
जा नहीं पाया अब तलक
मनीषा
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