इतने सितारे हैं उनके दामन पर
उन्हें हमारे पांव के छाले नहीं दिखते
इतने उजाले हैं उनके ठौर
उन्हें अब हमारे अँधेरे नहीं दिखते
इतने फ़िदा हैं वो हमारी मुस्कानों पर
उन्हें हमारी पलको के आंसू नहीं दिखते
इतने गुमराह हैं वो हमारी झूठी तसल्लियों पर
उनको अब हमारे सच नहीं दिखते
मनीषा
उन्हें हमारे पांव के छाले नहीं दिखते
इतने उजाले हैं उनके ठौर
उन्हें अब हमारे अँधेरे नहीं दिखते
इतने फ़िदा हैं वो हमारी मुस्कानों पर
उन्हें हमारी पलको के आंसू नहीं दिखते
इतने गुमराह हैं वो हमारी झूठी तसल्लियों पर
उनको अब हमारे सच नहीं दिखते
मनीषा
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