कांटों में खिलना सीख लिया
अब तेरे बिन भी जीना सीख लिया
अब तेरे बिन भी जीना सीख लिया
दो कमरों में है दूरी ही कितनी
खुद को बहलाना सीख लिया
बहुत रोए तेरी खातिर कभी
अब
हमने भी मुस्काना सीख लिया
खुद को बहलाना सीख लिया
बहुत रोए तेरी खातिर कभी
अब
हमने भी मुस्काना सीख लिया
खो जाते हैं साये भी अंधेरों में
मन को समझाना सीख लिया
खो कर तुझे इन बंजर राहों में
अब
हमने खुद को पाना सीख लिया
मन को समझाना सीख लिया
खो कर तुझे इन बंजर राहों में
अब
हमने खुद को पाना सीख लिया
मनीषा
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