नन्हा बचपन सच्चा बचपन
सूरज की किरणों सा खिलता बचपन
बचपन के कुछ पल ठिठोले
नटखट प्यारे से खेल खिलौने
वो मम्मी की लोरी वोह पापा की बांहों के हिंडोले
वो मेरा बचपन, ये तेरा बचपन
नन्हा सा प्यारा सा मेरी गुडिया तेरा बचपन
वो नाना के कंधे, नानी की कहानियाँ
दादी की पूजा से चुराया प्रसाद
दादा की गोदी में बैठ चिढाई नाक
कैसा प्यारा था वो बचपन
वो मेरा बचपन ये तेरा बचपन
नन्हा सा प्यारा सा मेरी गुडिया ये तेरा बचपन
स्वप्न सा बीत गया जाने कब रूठ गया
सोचती थी कही खो गया
पर तुझमे देखा मैंने अपना बचपन
तेरे मस्ती भरे खेलों में , तेरी भोली से हंसी में ,
तेरे नन्हे बोलो में
तुतलाता लौट आया मेरा बचपन
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