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Monday, May 21, 2012

बचपन



नन्हा बचपन सच्चा बचपन
सूरज की किरणों सा खिलता बचपन
बचपन के कुछ पल ठिठोले
नटखट प्यारे से खेल खिलौने 
वो मम्मी की लोरी वोह पापा की बांहों के हिंडोले
वो मेरा बचपन, ये तेरा बचपन
नन्हा सा प्यारा सा मेरी गुडिया तेरा बचपन 
वो नाना के कंधे, नानी की कहानियाँ
दादी की पूजा से चुराया प्रसाद 
दादा की गोदी में बैठ चिढाई नाक 
कैसा प्यारा था वो बचपन 
वो मेरा बचपन ये तेरा बचपन
नन्हा सा प्यारा सा मेरी गुडिया  ये तेरा बचपन 
स्वप्न सा बीत गया जाने कब रूठ गया 
सोचती थी कही खो गया  
पर तुझमे देखा मैंने अपना बचपन 
तेरे मस्ती भरे खेलों  में , तेरी भोली से हंसी में , 
तेरे नन्हे बोलो में 
तुतलाता लौट आया मेरा बचपन 

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