मेरी डायरी के कुछ पन्ने
माटी कहे कुम्हार से तू क्या रुँधे मोए इक दिन ऐसा आयेगा मैं रुँधूगी तोए
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Thursday, November 27, 2025
मेरी कूची के सब रंग फीके
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मेरी कूची के सब रंग फीके मेरे गीतों के बोल अधूरे हर क्षण हर पल मिलती खुशी अधूरी तुम से ये कैसी जन्म जन्म की दूरी।। कुछ कह पाती कुछ सुन पात...
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वो एक पल था
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वो एक पल था सभी दिनों से अधिक भारी वक्त कुछ रुका रुका सा था समय की गति थम सी गई थी सांसों की लय टूट रही थी जीवन की डोर छूट सी रही थी।। बहु...
तुम जब भी लिखना सतरंगी प्रीत लिखना।।
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वो लिख रहें है नफरतें तो लिखते रहें तुम जब भी लिखना सतरंगी प्रीत लिखना।। बहुत भारी है बोझ झूठे अंहकार का तुम जब भी झुकना सादर नमन करना रक...
Thursday, November 13, 2025
हम थे क्या और क्या हो गए
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हम थे क्या और क्या हो गए इस बड़े से आसमां में खो गए।। गिनते बैठे सिक्के वक्त बेवक्त इस भरे बाजार में तन्हा हो गए।। इतना रोए तेरे जान...
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Sunday, November 9, 2025
जी मैं झूठ बेचता हूं
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जी मैं झूठ बेचता हूँ साफ सुंदर लचीले झूठ बेचता हूं।। सबके काम आएं जो वह करामात बेचता हूँ जी मैं झूठ बेचता हूँ। सत्ता की कुर्सी हो या नौकरी...
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