मेरी डायरी के कुछ पन्ने
माटी कहे कुम्हार से तू क्या रुँधे मोए इक दिन ऐसा आयेगा मैं रुँधूगी तोए
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Tuesday, April 9, 2024
दोहे
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कोई पीटे झांझ मंजीरे कोई आज़ान उठाए कर ना सके जो मोल जीव का कैसे दरस वो पाए ।। कोई करे उठक बैठक कोई सौ स्वांग रचाए जो किसी का मन दुखाए सो ...
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तुम मिलना मुझे तब उस पार
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क्षितिज पर लालिमा जब घुल जाएगी अंधकार भरी कई रातें भी ढल जाएंगी तुम मिलना मुझे तब उस पार जब किरणों की ताल पर लहरें इठलाएंगी।। चांदनी जब तु...
इतिहास में लिखा है
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सुना है इतिहास में लिखा है किसी तानाशाह की जद में बहुत से चिन्हित लोग बंदूकों की नोक पर लाक्षागृह में स्नान के लिए चले गए हाथों में साबुन ...
Sunday, March 3, 2024
तुम तक आने के सब रास्ते
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तुमने बंद कर दिए तुम तक आने के सब रास्ते अब किस हवाले से हक जताते हो।। मैं कोई पुराना वृक्ष नहीं आंगन का जो प्रस्तुत हो रहूं हर प्रहार ...
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Monday, February 26, 2024
जीवन घट
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इस जीवन घट के दर्पण में सिर्फ तुम्हारा ही अक्स नज़र आता है मेरे जीवनकी मरुस्थली में तुम एक वटवृक्ष से खड़े हो हर पल अपनी डालियों में स...
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