Pages

Thursday, November 13, 2025

हम थे क्या और क्या हो गए

 

हम थे क्या और क्या हो गए
इस बड़े से आसमां में खो गए।।

गिनते बैठे सिक्के  वक्त बेवक्त
इस  भरे बाजार में तन्हा हो गए।।

इतना रोए तेरे जाने के बाद
अब आंसू भी सूख कर ख़ाक हो गए।

बसा ली हैं इतनी दूर बस्तियां
अपने ही गली कूचे में सब गैर हो गए।।

ना था ना है कोई अपना खैरख्वाह
अपने आंगन के दरख़्त भी बाड़ हो गए।।

मनीषा वर्मा
#गुफ़्तगू

No comments:

Post a Comment