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Sunday, November 9, 2025

जी मैं झूठ बेचता हूं

 जी मैं झूठ बेचता हूँ

साफ सुंदर लचीले झूठ बेचता हूं।।

सबके काम आएं जो वह करामात बेचता हूँ

जी मैं झूठ बेचता हूँ।


सत्ता की कुर्सी हो 

या नौकरी की अर्जी हो

आइने से साफ, सफेदपोश 

झूठ बेचता हूं।।


रोटी की हो गुहार 

या हो बीवी की दरकार 

छोटे से बड़े या बड़े से बड़े 

सबके काम आएं ऐसे 

झूठ बेचता हूं।।


आंकड़ों से नाप लीजिए 

किसी तराज़ू में तौल लीजिए

विश्वास अंधविश्वास के उस पार 

जो निभ जाएं ऐसे विचार बेचता हूं

जी मैं एक दम शुद्ध झूठ बेचता हूँ।।


जी आपको सच की है दरकार ?

यह क्या मांग बैठे आप सरकार?

आज कल उसे कौन पूछता है ?

उसका एक  फूटी कौड़ी भी नहीं मिलता दाम।।


क्या बात कर रहे हुज़ूर 

खिला खिला चुनावी मौसम है 

आप तो या लीजिए नए वादों

अ अ ...मतलब जी नए झूठों का पुलिंदा।।


इस बार फिर जीत जाएंगे आप 

बना लीजिएगा नई सरकार 

खड़े कर लीजिएगा एक दो बंगले

 ले लीजिए नई चमकती मोटर कार ।।


जी लीजिए  सुंदर सजीले झूठ 

एक पर दो मुफ्त 

पहुंचिएगा सीधा संसद

सच तो है घाटे का सौदा।।


सच बस यही कहता हूं

जी मैं नहीं करता सच का व्यापार 

जिसकी किसी को नहीं है दरकार 

जी मैं सिर्फ विशुद्ध झूठ बेचता हूं।।


मनीषा वर्मा

#गुफ़्तगू

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