शिकायत तो यही रही हमारे इस अफ़साने में
हम आँखों से बोलते रहे वो हमारे लफ्ज़ सुनते रहे
दिल टूटता रहा हर्फ़ दर हर्फ़ लब हमारे हँसते रहे
वो पढ़ न सके हम कह न सके फासले यूं ही बढ़ते रहे
मनीषा
हम आँखों से बोलते रहे वो हमारे लफ्ज़ सुनते रहे
दिल टूटता रहा हर्फ़ दर हर्फ़ लब हमारे हँसते रहे
वो पढ़ न सके हम कह न सके फासले यूं ही बढ़ते रहे
मनीषा
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