रचना रचनाकार की निजी सम्पत्ति है
नहीं वह द्रविड़ , तमिल या हिन्दू की निधी है
वह स्वर है पीड़ामय ह्रदय की पुकार का
नही मज़हब कोई विशेष है उसका
रचना रचनाकार की समर्पित नही किसी एक को
वह भेंट है उस एक व्यक्ति की समाज को
रचना सर्वश्रेष्ठ है वही जिसमे निहित कोई सच्चाई हो
उद्देश्य जिसका समाज के प्रति उत्तरदायी हो
सर तुलसी मीरा या निराला श्रेष्ठ कवि कहलाए थे
वे स्वांत: सुखाय रचनाओ से भी बहुजन हित कर पाए थे
रचना मानव मन के भावों की गाथा कहती है
कहीं आक्रोश से कहीं व्यंग से विचारो को गति देती है
रचना केवल पन्नो पर उतरे काले अक्षर नहीं
नर्म-कोमल अनुभूति है
रचना केवल एक कल्पना नहीं
पूर्ण समाज के अंतर की गहराई है
जीवन के भीषण तापों को झेलती
नही वह सिर्फ एक जिंदगी की कहानी है
रचना तो समय चक्र से लड़ते
एक पूर्ण युग की ज़ुबानी है
भावना व शब्दों का आत्मीय मेल है
रचना शब्दों में उतरा जीवन म्रत्यु का खेल है
नहीं वह द्रविड़ , तमिल या हिन्दू की निधी है
वह स्वर है पीड़ामय ह्रदय की पुकार का
नही मज़हब कोई विशेष है उसका
रचना रचनाकार की समर्पित नही किसी एक को
वह भेंट है उस एक व्यक्ति की समाज को
रचना सर्वश्रेष्ठ है वही जिसमे निहित कोई सच्चाई हो
उद्देश्य जिसका समाज के प्रति उत्तरदायी हो
सर तुलसी मीरा या निराला श्रेष्ठ कवि कहलाए थे
वे स्वांत: सुखाय रचनाओ से भी बहुजन हित कर पाए थे
रचना मानव मन के भावों की गाथा कहती है
कहीं आक्रोश से कहीं व्यंग से विचारो को गति देती है
रचना केवल पन्नो पर उतरे काले अक्षर नहीं
नर्म-कोमल अनुभूति है
रचना केवल एक कल्पना नहीं
पूर्ण समाज के अंतर की गहराई है
जीवन के भीषण तापों को झेलती
नही वह सिर्फ एक जिंदगी की कहानी है
रचना तो समय चक्र से लड़ते
एक पूर्ण युग की ज़ुबानी है
भावना व शब्दों का आत्मीय मेल है
रचना शब्दों में उतरा जीवन म्रत्यु का खेल है
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