मेरी डायरी के कुछ पन्ने
माटी कहे कुम्हार से तू क्या रुँधे मोए इक दिन ऐसा आयेगा मैं रुँधूगी तोए
Pages
Home
Sunday, October 7, 2012
ऐ खुदा
जो मेरी आँखों से बहते खारे पानी को मोती समझ कर सजा ले अपने कन्धों पर
ऐसा एक दोस्त बक्श मुझे मेरे ऐ खुदा
तो जानू तू गुनाहों को माफ़ किया करता है
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment